काव्य संग्रह ’मन निर्झर’ पुस्तक का विमोचन

  • जीवन में काफी व्यस्तता है परंतु दिल में एक जुनून है,  नहीं लिखूं तो चैन नहीं आताः डाॅ. विनोद शर्मा

पंचकूला

मनुष्य का ’मन निर्झर’ की भांति स्वतंत्र धारा के रूप में प्रस्फुटित होता है। हम मनुष्य के शरीर को कैद तो कर सकते हैं मगर मन को नहीं। वह जो अनुभव करता है, वह भाव धारा के रूप में फूट पड़ता हैं। यह कहना है साहित्यकार डाॅ विनोद कुमार शर्मा का, जिनकी चौथी काव्य संग्रह पुस्तक ’मन निर्झर’ का विमोचन सेक्टर 7, पंचकुला में किया गया। इस पुस्तक का विमोचन चिंतनशील एवं संवेदनशील कवयित्री डॉ. इंद्रा रानी राव द्वारा किया गया जिनको डाॅ विनोद ने यह पुस्तक समर्पित की है।

इस काव्य से पूर्व वे तीन अन्य काव्य संग्रह बढ़ते कदम, शिखर की ओर और नई दिशाएं प्रकाशित हो चुकी हैं।’मन निर्झर’ में कुल 57 कविताओं को संकलित किया गया है।

काव्य लेखक एवं साहित्यकार डाॅ विनोद कुमार शर्मा ने इस अवसर पर बताया कि इस काव्य संग्रह में सम्मिलित कविताएं समाज की ज्वलंत समस्याओं की ओर संकेत करते हुए उनका समाधान भी प्रस्तुत करती हैं। मन रूप निर्झर हृदय भाव लहरियों का स्वतंत्रता पूर्वक बहने देता है। वह जो अनुभव करता है, वह भाव धारा के रूप में फूट पड़ता है। मैंने विभिन्न परिस्थितियों से गुजरते हुए संघर्षपूर्वक इनका सामना किया है और इस काव्य संग्रह को ’मन निर्झर’ का रूप दिया है। उन्होंने बताया कि इस काव्य संग्रह में सम्मिलित कविताएं समाज की ज्वलंत समस्याओं की ओर संकेत करते हुए कुछ हद तक उनका समाधान भी प्रस्तुत करती है। सहज, सरल, तुकांतक एवं लयात्मक शैली में लिखित कविताएं मानव को सद्मार्ग पर चलने को प्रेरित कर एक विकासशील देश की कल्पना करती हैं।

डाॅ विनोद ने कहा कि कवयित्री डॉ. इंद्रा रानी राव ने, न केवल उन्हें साहित्यिक शोध में अपितु जीवन के हर भाग में गतिशील होने की प्ररेणा दी।

उन्होंने बताया कि जीवन में काफी व्यस्तता है परंतु दिल में एक जुनून है, नहीं लिखूं तो चैन नहीं आता है। अब लेखन का कार्य मेरे जीवन का एक हिस्सा बन चुका है जिससे मैं चाह कर भी अलग नहीं हो सकता। समय अपने आप निकल आता है। यह नौकरी और गृहस्थ जीवन मैं अपने आप ही सामंजस्य उत्पन्न कर रहा है। रोज एक कविता लिखना मेरा पेशा बन चुका है। उन्होंने कहा कि साहित्य मेरे जीवन का हिस्सा है। जिस तरह मैं रोज शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन करता हूं उसी तरह समाज में सौहार्द का वातावरण बनाए रखने के लिए उच्च कोटि की रचनाएं लिखता रहूंगा। अच्छे विचारों को लोगों के समक्ष लाता रहूंगा। डॉ. इंद्रा रानी राव ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि यह काव्य संग्रह सभी वर्गों के लिए मूल्यवान साबित होगा।

 

इस कार्यक्रम पर साहित्यकार प्रेम विज, सुशील हसरत नरेलवी, बालकृष्ण गुप्ता, आरके भगत, विमला गुगलानी, संतोष गर्ग, अन्नुरानी शर्मा, नीलम त्रिखा, किरण आहूजा ने काव्य संग्रह पर अपने विचार रखे। समारोह के दौरान श्रीराव विजय प्रकाश सिंह, मनु राव, बेनु राव, प्रो. शिवानी कौशिक, के के शारदा, अमेरिका से पधारे एनआरआई सुदर्शन गर्ग, राजेश शर्मा और अंजू मोदगिल ने भी पुस्तक की सराहना की।

 

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