आखिर क्यों माता-पिता बच्चों को नहीं समझाते
ट्रैफिक पुलिस भी समझा सकती है बिना हेलमेट स्कूटी चलाने वाले बच्चों को
चंडीगढ़ : स्मार्ट सिटी चंडीगढ़ ट्रैफिक नियमों का पालन करने और करवाने में अव्वल है। कानून तोड़ने वालों पर शिकंजा कसने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर पूरे शहर में cctv लगाए गए हैं। लेकिन इसी बीच शहर में एक ऐसा इलेक्ट्रिक वाहन आया जिसने सरेआम बच्चों को कानून तोडना सीखा दिया। ये वाहन है इलेक्ट्रिक स्कूटी। इस स्कूटी को चलाते हुए जहाँ तहाँ देखा जा सकता है। किसी भी उम्र का व्यक्ति इसे चला सकता है। छोटे छोटे बच्चे सड़कों पर इसे चलाते हुए आपको मिल जायेंगे। सबसे बड़ी बात है कि इसे चलाने के लिए हेलमेट पहनने से छूट है। ऐसा इसलिए क्यूंकि इस स्कूटी की तुलना साइकिल से की जाती है और कहा जाता है कि इसकी अधिकतम स्पीड 25 -30 km प्रति घंटा है इसलिए हेलमेट ज़रूरी नहीं है। लेकिन समझने वाली बात है कि स्कूटी और साइकिल के वजन में बहुत अंतर है। साइकिल को संभालना आसान है जबकि स्कूटी को नहीं। तो क्यों माता पिता अपने बच्चों को हेलमेट पहनने के लिए नहीं समझते। समझदार लोग इन स्कूटी पर भी हेलमेट लगकत चलते है लेकिन अक्सर छोटे बच्चे ही बिना हेलमेट गाड़ी चलते हैं। मन कि बिना हेलमेट गाड़ी चलने में मज़ा आता है लेकिन ये भरी पड़ सकता है ये सोचना चाहिए।
हादसे बताकर नहीं होते लेकिन सेफ्टी होगी तो उन्हें टाला जा सकता है : एक बच्चे को अंधाधुंध इलेक्ट्रिक स्कूटी चलाते देखा लगा कि आखिर क्यों पुलिस इसपर एक्शन नहीं लेती। चालान तो हो नहीं सकता क्यूंकि ऐसी स्कूटी पर नंबर नहीं होता लेकिन उन्हें समझाया जा सकता है। ऐसा चालक न तो रेड लाइट मानते हैं और न ही ज़ेबरा क्रासिंग। इनको पुलिस रोककर समझाए तो शायद होने वाले हादसों तो टाला जा सके क्यूंकि हादसे होने के बाद एक्शन लेने का कोई फायदा नहीं होगा।