पंजाब की नज़र में देश की रक्षा में जान देने वाला और आंदोलन में जान गंवाने वाला, सब बराबर हैं

मुख्यमंत्री ने शुभकरण को शहीद बताया, कहा हम फ़र्ज़ निभा रहे हैं !

CHANDIGARH : पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक बड़ा फैसला लेते हुए कहा है कि खनौरी बॉर्डर पर किसान प्रदर्शन के दौरान मारे गए युवा शुभकरण के परिवार को 1 करोड़ रुपए दिए जायेंगे और उसकी बहन को सरकारी नौकरी दी जाएगी। इसके अलावा उसे शहीद का दर्जा भी दिया जाएगा। ऐस इसलिए क्यूंकि किसानों ने सरकार से मांग की थी कि शुभकरण को शहीद घोषित किया जाए। सरकार भी गज़ब है। . एकदम दबाव में आ जाती है। आखिर पंजाब में चल क्या रहा है। क्या सरकार इतनी कमज़ोर या सोच से इतनी अपाहिज हो चुकी है कि उसे सही और गलत का भी अहसास नहीं होता। अगर उरद्रव मचने वालों को यूँ ही शहीद का दर्ज़ा देते रहेंगे तो देश के बॉर्डर की रक्षा में अपनी जान देने वाले फौजी भाइयों में और देश में ही अस्थिरता फ़ैलाने वाले इन लोगों में क्या फ़र्क़ रह जाएगा। शुभकरण को तो शायद ये भी न पता हो कि किसानों की मांगें क्या हैं। बस भीड़ का हिस्सा बनने का शौक और देश विरोधी हरकत करने का खामियाज़ा उसे भुगतना पड़ा। लेकिन दर्द तो उन माँ बाप और बहनो से पूछो जिन्होंने अपना खोया है। इन तथाकथित किसानों का कुछ नहीं गया, वो भूल भी चुके होंगे शुभकरण को लेकिन परिवार का दर्द हमेशा ज़िंदा रहेगा। एक करोड़ रूपए और नौकरी से ये दर्द नहीं मिटेगा, सरकार को ये सोचना चाहिए। ऐसा कर सरकार युवाओं को आंदोलन में जाने के लिए उकसा रही है. ये एक करोड़ मुआवज़ा नहीं वो लालच है जीके झांसे में आकर ज़्यादा युवा आंदोलन में पहुँच जायेंगे। हंगामा होगा तो कार्रवाई भी होगी और शायद ये पहली मौत न हो. अगर और भी ऐसा नुक्सान होता है तो क्या सरकार सभी को एक-एक करोड़ रूपए देगी।

पंजाब सरकार को चाहिए था कि वो किसानों को समझाती और आंदोलन करने से मना करती लेकिन राजनीति और प्रधानमंत्री मोदी को सत्ता से हटाने की ज़िद ऐसी है कि सरकार खुले मंच से किसानों को समर्थन देने की बात कहती रहती है।
क्या पंजाब दूसरा जम्मू कश्मीर बनने की तरफ नहीं बढ़ रहा। वहां आर्मी के जवानों पर पत्थर फेंकने के लिए 500-500 रूपए दिए जाते थे और उपद्रव के लिए उकसाया जाता था। वही हालत पंजाब में पैदा किये जा रहे हैं। तथाकथित किसान हथियार लेकर, पॉकेलेन, JCB, बन्दूक, किरपान आदि लेकर फसलों के लिए MSP मांगने की ज़िद पर अड़े हैं। ये कैसा किसान मोर्चा है जिसमे किसान कम और वो युवा ज़्यादा है जिनके पास कोई काम नहीं। नौकरी पेशे वाला युवा इस उपद्रव का हिस्सा कभी नहीं बनेगा जिसे घर चलाना है। हैरानी की बात है कि चंडीगढ़ में पंजाब यूनिवर्सिटी में पोस्टर लगाकर स्टूडेंट्स को किसान मोर्चे में शामिल होने के लिए भी कॉल की गई। हालाँकि कितने गए पता नहीं लेकिन इसी बात से अंदाज़ा लगा लो की देश को बर्बाद करने के पीछे कोण सी ताकत लगी हुई है। विदेश से फंडिंग का ये खेल मासूम युवाओं के खून को चूस रहा है। खालिस्तान की मांग पंजाब में इस कदर हावी हो चुकी है कि लोग साज़िश को समझ ही नहीं पा रहे। जो सच्चा सिख है वो खालिस्तान चाहता ही नहीं है लेकिन युवाओं को भड़काकर इस मांग को हवा दी जाती है।

कुछ तथाकथित किसान तो अपनी रईसी दिखाने की लिए ही आंदोलन में पहुँच जाते हैं। ट्रेक्टर वैसे तो किसानी मशीन है लेकिन पंजाबी किसानों के ट्रेक्टर देखकर ऐसा बिलकुल भी नहीं लगता। पंजाब में ट्रेक्टर बदमाशी, सड़कों पर बेतरतीब तरीके से चलाना, ज़ोर ज़ोर से गाने बजाकर परेशान करना , बस यही काम है। आंदोलन में भी सिर्फ यही चल रहा है। हंगामा करना, खालिस्तान की मांग करना दिनभर उपद्रव के बाद शाम को शराब पीना, नशा करना, यही काम है इस मोर्चे में शामिल ज़्यादातर लोगों का। लेकिन एक बात साफ है कि पंजाब सरकार हर स्टार पर फ़ैल है बस मुआवज़ा देकर वोटों की राजनीति कर रही है जबकि उसका काम देश में आग लगने से बचने के लिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए था। लेकिन ऐसा करती तो पंजाब का वोटर नाराज़ हो जाता इसलिए उसने उनका साथ दिया। भगवंत मान साहब आपको पंजाब को बचने के लिए मुख्यमंत्री बनाया है न कि इसमें आग लगाने के लिए।

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